बहुत भागकर वह किसी तरह समय पर बस पकड़ पाया था। सेमेस्टर के इग्ज़ैम के बाद दो हफ़्ते की छुट्टियाँ थीं। यह तब की बात है जब मोबाइल फ़ोन जनता जनार्दन के सपनों तक में नहीं थे। उन दिनों टेलिफ़ोन…
बाहर से छन कर आती हुई धूप में एकाएक वह प्रकट हुई। बाएँ हाथ से घुटने को सहारा देते हुये और दाहिने हाथ से दरवाजा थामते हुए खुद को। मैंने उस अनजान वृद्धा को आते देखकर एक नजर गमी में…